फोटोग्राफी के विविध परिदृश्यों में, चित्रण फोटोग्राफी का अपना एक अलग ही सम्मोहन है। यह कैमरे के लेंस के जरिए न सिर्फ चेहरों, बल्कि आत्माओं को भी कैद करने की कला है। इस पुस्तक के माध्यम से हम इस जादुई कला के इतिहास, विकास और उसके बेहतरीन नमूनों की यात्रा पर निकलते हैं।आइए पहले जानते हैं कि चित्रण फोटोग्राफी असल में है क्या?सरल शब्दों में कहें तो चित्रण फोटोग्राफी किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के रूप, व्यक्तित्व और पहचान को तस्वीरों में उकेरने की कला है। यह सिर्फ शारीरिक आकार-प्रकार को नहीं, बल्कि आंखों की नमी में छिपी कहानियों, होंठों की मुस्कान में बसी हंसी और झुर्रियों में समेटे तजुर्बों को भी कैप्चर करती है। यह कला फोटोग्राफर और उसके विषय के बीच एक संवाद स्थापित करती है, जहां मौन भाषा तस्वीरों के माध्यम से बोलती है।चित्रण फोटोग्राफी का उद्भव और विकास 1839 में लुई डागुएरे द्वारा फोटोग्राफी के आविष्कार के साथ ही चित्रण फोटोग्राफी के बीज भी बोए गए थे। उस साल ही रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने दुनिया का पहला फोटोग्राफिक स्व-चित्र बनाया, जिसने इस कला की संभावनाओं को खोल दिया। शुरुआती दौर में डागुएरियोटाइप जैसी तकनीकों का इस्तेमाल हुआ, जिसमें तस्वीरें धातु की प्लेटों पर लेनी पड़ती थीं और यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली और जटिल होती थी।